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शुक्रवार, 26 मई 2023

बदल रहा है कश्मीर, पीछे छूट रही बंदूकों की आवाज; नौजवानों की बढ़ रहीं उम्मीदें

पोलो व्यू मार्केट कश्मीर घाटी (Kashmir valley) का आजकल हॉटेस्ट पॉइंट है. शाम को ये किसी यूरोपीय देश के मार्केट से कम नहीं लगती. युवा यहां घंटों हैंगआउट करने आते हैं. खाने-पीने, शॉपिंग और मौज-मस्ती का दौर देर रात तक चलता रहता है. ये नया कश्मीर है. यहां अब शाम ढलते ही लोग घरों में नहीं घुस जाते, बल्कि मौज मस्ती करने के लिए बेखौफ बाहर निकलते हैं. पोलो व्यू मार्केट (Polo View Market) को जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) प्रशासन ने स्मार्ट सिटी के तहत विकसित किया है.

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सोमवार से G-20 देशों के पर्यटन कार्य समूह (Tourism Working Group) की तीसरी बैठक शुरू हुई. सम्मेलन तीन दिन तक चला. अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 खत्म किए जाने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने और करीब 37 साल बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक थी. भारत इस साल G-20 की अध्यक्षता कर रहा है. देश के तमाम राज्यों में ये बैठकें हो रही हैं. इन शहरों में श्रीनगर को भी चुना गया.

G-20 की बैठक के लिए 27 देशों के 60 मेहमान तीन दिन कश्मीर को करीब से देखते रहे. उनकी निगाह में ये बदला हुआ कश्मीर था.  बीते कुछ सालों में कश्मीर में पर्यटक लौटने लगे हैं, बल्कि 2022 में तो उन्होंने रिकॉर्ड बना डाला. जम्मू-कश्मीर प्रशासन को उम्मीद है कि उनके ज़रिए घाटी में और निदेश आएगा. इससे यहां रोज़गार के नये रास्ते खुलेंगे.

क्या है युवाओं की राय?
श्रीनगर के पोलो व्यू मार्केट में दोस्तों संग आए फरदीन खान बताते हैं, "मैं पॉलीटेक्निक की पढ़ाई कर रहा हूं. मुझे रैप करना पसंद है. यहां आकर अच्छा लगता है. पहले और अब के हालात में बहुत फर्क आ गया है." वहीं, कंप्यूटर साइंस के छात्र गुरप्रीत कहते हैं, "कश्मीर में हालात बेहतर हुए हैं. नौजवानों की आकांक्षाएं बदली हैं." महाराष्ट्र के पुणे से श्रीनगर आए वॉक्स पॉप कहते हैं, "मैं यहां नहीं रहता. पोलो व्यू मार्केट के बारे में बहुत सुना था. इसलिए ये देखने आ गया. आप खुद यहां की रौनक देख लीजिए."

कश्मीर में ज्यादा से ज्यादा निवेश लाना केंद्र का मकसद
घाटी में G-20 के आयोजन के पीछे केंद्र सरकार दुनिया को कश्मीर घाटी की खूबसूरती से वाकिफ करना तो चाहती ही थी. लेकिन इसके साथ ही सरकार का उद्देश्य था कि ज़्यादा से ज़्यादा निवेश जम्मू-कश्मीर में लाया जाये. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर इफ्तिकार बताते हैं, "लोग यहां अब सुरक्षित महसूस करते हैं. 2019 के बाद यहां उद्योग को लेकर तस्वीर काफी बदली है."

फिर से हो रही फिल्मों की शूटिंग
एक दौर था जब कश्मीर हिंदुस्तान के फिल्मकारों का पसंदीदा लोकेशन हुआ करता था. साठ और सत्तर के दशकों की फिल्मों से हमने कश्मीर के नज़ारों को पहचाना, शिकारों को देखा, उनकी ख़ूबसूरती पर हैरान होते रहे. अस्सी के दशक के बाद कश्मीर का माहौल बदला, तो फिल्मों की दिशा भी बदल गई. मगर एक बार फिर पुरानी हवाएं नई रंगत के साथ लौट रही हैं. वहां, फिल्में फिर से शूट की जा रही हैं. 2021 में जम्मू-कश्मीर में नई फिल्म नीति के एलान के बाद करीब 150 फिल्मों और वेब सीरीज़ की शूटिंग की इजाज़त ली गई. G-20 की बैठक का पहला सत्र फिल्म पर्यटन पर ही केंद्रित रहा. 

गुड गवर्नेंस के तहत काम में आई तेजी
पिछले चार सालों में 7.7 लाख नये उद्यमी यहां आए हैं. यानी हर रोज़ 527 युवा जम्मू-कश्मीर की बदलती तस्वीर से जुड़े हैं. जम्मू-कश्मीर प्रशासन का यह भी दावा है कि गुड गवर्नेंस के तहत 2019 के बाद यहां सरकारी कामों में तेज़ी आई है. 2018 में यहां सिर्फ़ 9229 प्रोजेक्ट पूरे हुए. 2022 में 92560 प्रोजेक्ट पूरे किए गए हैं.

बेशक, पिछले कुछ दिनों में आतंकी गतिविधियों की ख़बरें भी आती रहीं. वहां रह रहे कश्मीरी पंडितों को राज्य छोड़ना भी पड़ा. उनमें से कई अब भी आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन कुल मिलाकर माहौल बदला है. कश्मीर में पर्यटन सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. पर्यटन स्थलों का भी विकास किया जा रहा है.


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