अजमेर साहित्य मंच के तत्वावधान में लॉक डाउन के समय का सदुपयोग रचनाधर्मिता के साथ करने के उद्देश्य से संयोजक प्रदीप गुप्ता द्वारा राष्ट्रीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी अायाेजित की गई। इस कार्यक्रम में अजमेर के अलावा देश के विभिन्न स्थानों के साहित्यकारों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम का आगाज़ डाॅ. विनीता जैन द्वारा कविता मुझे मालूम है, फिर से सवेरा होगा... से किया गया। इसके बाद युवा कवयित्री अंजान अमन ने एक पंक्ति कम रहेगी तुम्हारे लिए... कविता प्रस्तुत की। नई दिल्ली की कवयित्री ने मां के चरणों में अपनी कविता मां कृपा दृष्टि करुणा रस धारा प्रस्तुत की। फतेहगढ़ के कवि विष्णु द्विवेदी ने धार बहे जब अश्रु की करुणा का क्रंदन कहलाया..., जयपुर की कवयित्री शिवानी ने जीवन मिला है तो जीने की कला सीख... कविता प्रस्तुत की। दिल्ली के एबीपी न्यूज एंकर हर्षूल मेहरा ने जयचंद के संवाद प्रस्तुत किए।
युवा गीतकार गौरव दुबे ने चीख को रोका हुआ है कंठ में हमने दबाकर , वरिष्ठ साहित्यकार उमेश चौरसिया द्वारा कसकर बांधे रखो रिश्तों की डोर को, वरिष्ठ गज़लकार गोपाल गर्ग द्वारा फूल गुमसुम उदास है खुशबू , गज़लकार डाॅ. बृजेश माथुर द्वारा फूलों को तितली से इतनी रगवत है , बाल साहित्यकार गोविंद भारद्वाज द्वारा लोग हमारे पीछे क्यों हैं, पौराणिक साहित्यकार देवदत्त शर्मा द्वारा अन्य रोगों की तरह कोरोना भी परास्त होगा, व्यंग्यकार प्रदीप गुप्ता द्वारा व्यंग्य कविता कोरोना स्वाइन फ्लू का भी बाप है, वरिष्ठ हिंदी एवं मराठी कवयित्री नीलिमा तिग्गा द्वारा हाय हाय ये कोरोना, गज़लकार रजनीश मेसी द्वारा इन निगाहों में कुछ तो कमी हैं, विनीता बाड़मेरा द्वारा वो औरत जब उकता जाती हैं सपाट जिंदगी से, नलिनी उपाध्याय द्वारा कैसे मुस्करा कर कर ले हर मुश्किल आसान, सुधा मित्तल द्वारा खामोशी की तह में छुप गया सारा संसार, जगदीप कौर द्वारा मानव जीवन की धड़कन है आस..., पूर्णिमा शर्मा द्वारा कोरोना बन गया जीवन में अभिशाप एवं काजल खत्री द्वारा तुम्हारी गज़ल में वो खुशबू मेरी है न... आदि रचनाएं प्रस्तुत की।
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