अजमेर जिले में काेराेना वायरस के खतरे काे देखते हुए चिकित्सा विभाग व जिला प्रशासन अलर्ट पर है। जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में यदि एक भी काेराेना पॉजिटिव मरीज भर्ती हुअा ताे पूरे अस्पताल काे मरीजों से खाली करवा लिया जाएगा। अभी हालांकि यहां काेराेना काे लेकर केवल गंभीर मरीजों काे ही भर्ती किया जा रहा है। पूरे अस्पताल में मरीजों का आंकड़ा देखें ताे पचास भी नहीं है। इसी कारण सुरक्षा काे देखते हुए पूरे अस्पताल काे काेराेना के लिए तैयार रखा जाएगा। गुरुवार काे हुई मीटिंग में इस पर निर्णय लिया गया है। इसमें साफ कहा गया कि पूरे अस्पताल में काेई भी यूनिट एेसी नहीं रहेगी जहां पर मरीज काे रखा जाए।
अन्य मरीजों के लिए यूरोलॉजी या ट्रोमा वार्ड का विकल्प
अापातकालीन यूनिट जैसे सड़क हादसे, कार्डिक मरीज या अन्य गंभीर मरीजों की स्थिति बिगड़ने पर यदि काेई परिजन मरीज काे अस्पताल लेकर अाता है ताे उसके लिए यूरोलॉजी व ट्रोमा यूनिट का विकल्प रखा जाएगा। दाेनाें ही जगह ऑपरेशन थियेटर ग्राउंड फ्लोर पर हाेने के साथ ही यह दाेनाें यूनिटें अस्पताल के एकदम बाहर दूसरे छाेर पर स्थित है। यहां पर अाने जाने का रास्ता भी अलग है। ऐसे में संक्रमण की आशंका भी नहीं रहेगी। इसी कारण इन दाेनाें यूनिटों काे विकल्प के रूप में रखा गया है।
ये है स्थिति | जेएलएन हॉस्पिटल में अभी केवल गंभीर मरीजों काे ही भर्ती किया जा रहा है। काेराेना की दहशत के बाद अस्पताल अाने वाले मरीजों की संख्या नहीं के बराबर रह गई है। आईसीयू यूनिट में 10 से 15 व जनरल यूनिट में 20 के करीबन मरीज भर्ती है। जबकि कुछ आपातकालीन यूनिट में है। यदि काेराेना पॉजीटिव मरीज अाया ताे इन सभी मरीजों काे शिफ्ट करने या छुटटी देने का विकल्प रखा गया है।
काेराेना काे लेकर विभाग की कवायद
{काेराेना काे लेकर अलग दाे विशेष टीमों का गठन किया गया है।
{पहली टीम का कार्य काेराेना पॉजिटिव मरीज का ट्रीटमेंट पार्ट पर ध्यान देना हाेगा। यह टीम तय करेगी कि मरीज काे ऑक्सीजन कितनी देनी है। दवा की मात्रा कितनी है। सीधे आइसोलेशन में शिफ्ट करना है या काेराेना वार्ड में रखना है। वेंटिलेटर पर किस स्पीड पर रहेंगे। इंजेक्शन की मात्रा कब कितनी रहेगी। किस श्रेणी का मरीज है जिसे मास्क एन-95 देना है या सामान्य यह पहली टीम देखेगी।
{मरीज जहां रहेगा उसे एफिक्स यानी बफर जाेन बनाया जाएगा। तीन किलोमीटर का क्षेत्र सीज हाेगा। हर एक व्यक्ति की पूरी जांच हाेगी।
{अलर्ट पर दाे एक्शन टीमें रहेगी। पहली टीम किसी मरीज अन्य मरीज की जांच कर रही है ताे दूसरी नए मरीज काे तुरंत सूचना पर ट्रीटमेंट देगी।
{मरीज के उपचार के लिए स्थानीय, राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सभी मानकों की दवाओं का उपयोग किया जाएगा। जाे दवा सबसे बेहतर होगी उसकी जांच कर मरीज काे दी जाएगी। एक टीम नेटवर्किंग साइड पर रहेगी जाे एमसीआई या डब्ल्यूएचओ की अाेेर से जारी दवाओं की स्थिति देखेगी। यदि काेई बदलाव हाेगा ताे नई दवा दी जाएगी। वहीं लाेकल स्तर पर काेई दवा कारगर साबित होगी ताे वह भी दी जा सकेगी। कुल मिलाकर मरीज का बेहतर उपचार मिले यह देखना अन्य टीम की जवाबदेही हाेगी।
जेएलएन बनेगा काेराेना संेटर
काेराेना संक्रमण के मद्देनजर जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग ने सरकार से मिले निर्देश के बाद अजमेर संभाग का सबसे बड़ा काेराेना उपचार सेंटर अजमेर में बनाने की तैयारी कर ली है। इस हॉस्पिटल काे जेएलएन सुपर काेराेना हॉस्पिटल नाम दिया गया है। जेएलएन काे पहले ही 540 बेड वाले वार्ड के रूप में तैयार किया गया है। इसे बढ़ाकर अब 800 बेड में किया जा रहा है।
पांच विशेषज्ञ हाेंगे टीम मंे
काेराेना काे लेकर जेएलएन के हर यूनिट से विशेषज्ञों का चयन किया गया है। काेराेना पॉजिटिव अाने पर यह टीम तुरंत एक्टिव हाेगी। इस टीम का नेतृत्व ईएसएम करेंगे। वहीं मेडिसिन, पीडिटिशियन, चेस्ट टीबी विशेषज्ञ, सीनियर चिकित्सक, माइक्रोबायलोजी की टीम सहित स्वाइन फ्लू व काेराेना काे लेकर कार्य कर चुकी सीनियर नर्सिंग की टीम काे इसके लिए चिह्नित किया गया है।
जेएलएन अस्पताल में माॅनिटरिंग करते हुए विशेषज्ञाें की टीम।
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